बाड़मेर जिला कलेक्टर टीना डाबी का गुरुवार को सिंघम अवतार दिखा। टीना डाबी ने दोपहर करीब 12 बजे तीन टीमें बनाई और जनता की शिकायत पर सरकारी डॉक्टरों की पोल खोलने निकल पड़ी। सरकारी अस्पताल की जगह डॉक्टर अपने प्राइवेट क्लिनिकों पर डॉक्टरी यानी प्राइवेट बिजनेस करते मिले। कलेक्टर और उनकी टीम ने दो डॉक्टरों को तो मौके पर ही पकड़ लिया।
ये डॉक्टर साहब निकले काम से नदारद, अपने बिजनेस में थे बिजी
- डॉक्टर- रमेश कटारिया
- ड्यूटी- जिला अस्पताल में
- मिले कहां- सद्भावना क्लिनिक
- कॉलोनी- नेहरू नगर
कटारिया अपने घर पर क्लिनिक चलाते हैं। अस्पताल के समय पर वे अपने क्लिनिक में मरीजों को देख रहे थे। कलेक्टर टीना डाबी ने पीएमओ (मुख्य चिकित्सा अधिकारी) बीएल मंसूरिया को मोबाइल फोन पर जानकारी मांगी तो चौंकाने वाला सच सामने आया। डॉ. रमेश कटारिया की बाड़मेर जिला अस्पताल के अटेंडेंस रजिस्टर में हाजिरी लगी हुई थी।
- डॉक्टर- शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. महेंद्र चौधरी
- ड्यूटी- जेल में
- मिले कहां- सरकारी क्वार्टर पर चला रहे थे क्लिनिक
- कॉलानी- जिला हॉस्पिटल परिसर
डॉक्टर महेंद्र चौधरी ने सफाई दी कि मैं जेल से यहां पहुंचा हूं।
और भी कई डॉक्टरों पर कामचोरी का आरोप लगा है। हालांकि कलेक्टर टीना डाबी के औचक निरिक्षण की जानकारी इतनी तेजी से फैली कि अन्य डॉक्टर सचेत हो गए। हालांकि एडीएम राजेंद्र सिंह चांदावत जिला हॉस्पिटल पहुंचे और वहां उन्होंने अटेंडेंस रजिस्टर जब्त कर लिया। उधर, कलेक्टर ने पीएमओ को डॉक्टर महेंद्र चौधरी और रमेश कटारिया के खिलाफ जांच कर कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं।