राजस्थान में तीसरी बार मुख्यमंत्री रहते हुए पॉलिटिक्स के जादूगर ने खूब जादूगरी की। सचिन पायलट जैसे नेता को ठिकाने लगाने का काम भी इस जादूगरी का हिस्सा रहा। लेकिन वो राजस्थान के मुखिया रहते हुए एक शख्स जिन्हें गजु बन्ना यानी गजेंद्र सिंह शेखावत कहते हैं, बाल बांका नहीं कर पाये। फोन टैपिंग केस हो या संजीवनी घोटाला, दोनों में गजेंद्र सिंह के खिलाफ गहलोत ने अपने सारे घोड़े दौड़ा लिए। लेकिन कुछ न कर सके।
ताज्जुब की बात यह है कि जनता भी अब सत्ता से उठा अलग पटक चुकी है। जब मुख्यमंत्री रहने कुछ नहीं बिगाड़ सके तो अब एक अदना सा विधायक भला गज्जु बना का क्या बिगाड़ने की हैसियत रखता है।
ऐसा क्यों कह रहे हैं? इसके लिए थोड़ा विस्तार से बात करते हैं। एक दिन हले यानी 25 सितंबर को ही संजीवनी प्रकरण यानी संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी घोटाले में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को हाईकोर्ट ने क्लीन चिट दी है। कोर्ट में पेश तथ्यात्मक रिपोर्ट में स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप यानी एसओजी ने कहा कि केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की संलिप्तता के कोई सबूत नहीं मिले हैं।
इस क्लीन चिट पर अब अशोक गहलोत ने बयान जारी किया है। उन्होंने बड़ा दावा करते हुए कहा कि राज्य में सरकार बदलने के बाद SOG पर भाजपा सरकार ने दबाव बनाया। इस दबाव के कारण SOG ने कोर्ट में यू-टर्न लिया। और गजेंद्र सिंह शेखावत को आरोपी नहीं माना गया। यानी गजेंद्र सिंह को क्लीन चीट सरकार के दबाव के चलते मिली है।