सलमान खान को धमकी देने वाले लॉरेंस बिश्नोई को समाज ने किया सपोर्ट, जानें बिश्नोई समाज के बारे में सबकुछ

लॉरेंस बिश्नोई, वो नाम है जो हाल के समय में सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहा है। एक समय था जब यह नाम राजस्थान, हरियाणा और पंजाब में गैंगस्टर की दुनिया से जुड़ा था, लेकिन अब लॉरेंस बिश्नोई का नाम दिल्ली से लेकर मुंबई तक चर्चाओं में सुनाई दे रहा है।



बता दें कि लॉरेंस बिश्नोई का जन्म राजस्थान के अनूपगढ़ में हुआ था। उसने अपनी किशोरावस्था से ही अपराध की दुनिया में कदम रख दिया था। वह जल्द ही एक कुख्यात गैंगस्टर बन गया और उसके नाम पर कई अपराधिक मामले दर्ज हुए। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में, उसने सलमान खान को मारने की धमकी देकर जमकर सुर्खियां बटोरी हैं।


हाल ही उसकी ताजा धमकी के बाद राजस्थान के बिश्नोई समाज ने भी उसका समर्थन किया है। ऐसे में यहां हम बिश्नोई समाज के बारे में भी विस्तार से बात करेंगे।


दरअसल, राजस्थान के थार रेगिस्तान के कठोर वातावरण में, एक ऐसा समुदाय रहता है जो पर्यावरण संरक्षण के लिए सदियों से संघर्ष कर रहा है, इस समुदाय का नाम है- बिश्नोई समुदाय। इस समुदाय के लोग प्रकृति के प्रति गहन श्रद्धा रखते हैं और पेड़-पौधों की रक्षा के लिए अपनी जान तक न्योछावर कर देते हैं।



बिश्नोई समुदाय की स्थापना 15वीं शताब्दी में जाम्भोजी ने की थी। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के लिए 29 सिद्धांतों का प्रतिपादन किया, जिन्हें '29 सिद्धांत' के नाम से जाना जाता है। इन सिद्धांतों में पेड़ों की कटाई और वन्य जीवों के शिकार पर प्रतिबंध लगाया गया है।



बिश्नोई समुदाय की पर्यावरण संरक्षण की भावना की एक जीवंत मिसाल है अमृता देवी विश्नोई। 1731 में, अमृता देवी और उनके 363 साथियों ने खेजड़ी के पेड़ों को काटने से रोकने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। इस घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया और पर्यावरण संरक्षण के लिए एक प्रेरणा बन गई।


आज भी, बिश्नोई समुदाय पर्यावरण संरक्षण के लिए संघर्ष कर रहा है। वे अपने गांवों और आसपास के क्षेत्रों में पेड़-पौधों की रक्षा करते हैं और वन्य जीवों का संरक्षण करते हैं। वे स्थानीय लोगों को भी पर्यावरण संरक्षण के महत्व के बारे में जागरूक करते हैं।



बिश्नोई समुदाय का पर्यावरण संरक्षण का संदेश आज भी प्रासंगिक है। वे हमें सिखाते हैं कि प्रकृति हमारे जीवन का आधार है और हमें इसकी रक्षा करनी चाहिए। उनके बलिदान और समर्पण ने उन्हें पर्यावरण संरक्षण के प्रतीक बना दिया है।

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