जयपुर में नई कार हो या बाइक, शोरूम से निकलते ही सबसे पहले यहां पहुंचती है... क्या आप जानते हैं यहां का इतिहास

जयपुर। देश में पंजाब के बाद राजस्थान दूसरा सबसे बड़ा प्रदेश है जहां सर्वाधिक बाइक यानी मोटरसाइकिल चलती हैं। चार साल पहले के आंकड़ों के अनुसार 66.4 प्रतिशत राजस्थानियों के पास बाइक हैं। वहीं नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (2019-21) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान के 8.2 प्रतिशत लोगों के पास कार है। ये तो रही आंकड़ों की बात। लेकिन अब असल मुद्दे पर आते हैं। कार हो या बाइक, राजस्थान में सबसे ज्यादा राजधानी जयपुर में ही बिकती हैं और यहीं पर दौड़ती हैं। लेकिन सबसे खास बात ये है कि जयपुर के शौरूम से निकलकर ये बाइक और कार कहीं और नहीं बल्कि मोती डूंगरी पहुंचती है। अब भला पूछेंगे कि यहां क्यों? तो बता दें कि यहीं पर है जयपुर के प्रथम देव भगवान गणपति का मंदिर, मोती डूंगरी गणेश मंदिर।  




भगवान गणेश का यह मंदिर जयपुरवासियों की आस्था का प्रमुख केंद्र है

जयपुर की मोती डूंगरी की तलहटी में बना भगवान गणेश का यह मंदिर जयपुरवासियों की आस्था का प्रमुख केंद्र है और यही वजह से नई कार, बाइक खरीदने वाले सबसे पहले अपनी गाड़ी यहीं पर लेकर पहुंचते हैं। सबसे पहले प्रथम पूज्य भगवान गणेश की चौखट पर पहुंचने के बाद ही नई गाड़ी के साथ सफर की शुरुआत करते हैं। लेकिन सिर्फ गाड़ियों के लिए ही नहीं कई दूसरी वजहों से भी यह मंदिर अपनी खास पहचान रखता है। शहर का प्रथम पूज्य मंदिर होने के नाते यहीं पर भगवान गणेश को लोग अपने शुभ कार्याें के समय पहला निमंत्रण भी भेजते हैं।

जयपुर नरेश माधोसिंह प्रथम की पटरानी के पीहर से आई थी भगवान गणेश की प्रतिमा

जाने माने राजस्थानी इतिहासकारों कि मानें तो जयपुर के मोती डूंगरी गणेश मंदिर में प्रतिमा की स्थापना का अपना इतिहास है। जयपुर के राजा माधोसिंह प्रथम की पटरानी के पीहर मावली से 1761 ई. में इस मंदिर की प्रतिमा लाई गई थी। मावली में यह प्रतिमा गुजरात से पहुंची थी।  यह भी बताया जाता है कि उस समय भी इस प्रतिमा को 500 वर्ष पुराना बताया गया था। 

नगर सेठ पल्लीवाल ने बनाया था मोती डूंगरी गणेश मंदिर

यह भी बताया जाता है कि जयपुर के नगर सेठ पल्लीवाल ही मावली से इस गणेश प्रतिमा को जयपुर लाए थे। कालांतर में उन्हीं की देख-रेख में मोती डूंगरी की तलहटी में इस गणेश मंदिर की स्थापना हुई। हालांकि भगवान गणपति के इस मंदिर की अधिकारिक वेबसाइट पर इस मंदिर के इतिहास की जानकारी में यहां के कार्यक्रमों और आयोजनों का जिक्र किया हुआ है। 

गणेश चतुर्थी, कृष्ण जन्माष्टमी, अन्नकूट और पौष बड़ा जैसे त्योहारों पर यह मंदिर आकर्षण का केंद्र 

मंदिर की अधिकारिक वेबसाइट पर इसके इतिहास के बारे में बताते हुए कहा गया है कि भगवान गणेश का मोती डूंगरी मंदिर अपनी दिव्य शक्ति के लिए प्रसिद्ध है। यही कहा गया है कि यहां साल भर सैलानियों और पर्यटकों का तांता लगा रहता है। यहां गणेश चतुर्थी, कृष्ण जन्माष्टमी, अन्नकूट और पौष बड़ा जैसे त्योहारों पर यह मंदिर आकर्षण का केंद्र होता है।



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