आईएएस परीक्षा के नए पैटर्न को मंजूरी...बदलाव हैं आपके पक्ष में

जयपुर. आईएएस एग्जाम की तैयारी कर रहे युवाओं में इन दिनों खासी बेचैनी का माहौल नजर आ रहा है। कुछ दिन पहले ही राज्यसभा ने आईएएस परीक्षा के नए पैटर्न को मंजूरी दी है। उसके बाद से ही देश भर में युवाओं के बीच इसके नए स्वरूप को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। सिविल सेवा के प्रीलिम्स में वैकल्पिक विषय की जगह एप्टीट्यूड टेस्ट के फैसले के बाद स्टूडेंट्स में सबसे ज्यादा घबराहट इस बात को लेकर है कि नया स्वरू प कैसा होगा। जस्ट जयपुर ने इस विषय पर विशेषज्ञों के साथ ही विभिन्न पदों पर कार्यरत आईएएस अधिकारियों से भी बात कर यह जानने का प्रयास किया कि आखिर यह बदलाव कितना सही है और इसका युवाओं पर कितना प्रभाव पड़ेगा। 

बदलाव समय की जरूरत 
सामान्य प्रशासन विभाग की प्रमुख सचिव डॉ. किरण सोनी गुप्ता कहती हैं कि लोक सेवा आयोग की आईएएस परीक्षा के लिए किए जा रहे बदलाव युवाओं के हित में है। हमें यह समझना चाहिए कि आईएएस अफसर की चुनौतियां और जिम्मेदारियां समय के साथ ज्यादा चुनौतीपूर्ण होती जा रही हैं। ऐसे में एक ऐसी परीक्षा से युवाओं को चुनना, जिसमें सब्जेक्टिव नॉलेज का ज्यादा महत्व हो, अधिक प्रासंगिक नहीं रह जाता। एप्टीट्यूड टेस्ट इस मामले में मददगार हो सकता है। इसके माध्यम से ऐसे युवा सामने आएं जो सही मायने में आईएएस को किसी ग्लैमर और सुविधापूर्ण कॅरियर की जगह समाज में बदलाव का जरिया मानते हैं। मुझे यह सुनने में आ रहा है कि ग्रामीण युवाओं में परीक्षा के नए स्वरूप को लेकर बेचैनी व घबराहट है। उन्हें यह समझना चाहिए कि नया स्वरूप कोचिंग की जरूरतों को कम करेगा और प्रतिभा को अधिक नैसर्गिक तरीके से निखारने का काम करेगा। 
युवाओं को मिलेंगे अवसर 
दूरदर्शन केन्द्र जयपुर की समाचार निदेशक प्रज्ञा पालीवाल गौड़ का कहना है कि नए स्वरूप में परीक्षा अनावश्यक श्रम को समाप्त करने वाली है। यह वास्तव में युवाओं को यह अवसर देगी कि वह संघ लोक सेवा आयोग के साथ दूसरी परीक्षाओं की तैयारी और अपने लिए कुछ करने के बारे में भी सोच सकते हैं। मौजूदा परीक्षा का दोष यह है कि इसमें अपनी उम्र के सबसे ऊर्जावान दौर में युवा केवल आईएएस की तैयारी ही करते रहते हैं और जो सफल नहीं हो पाते, उनके लिए अंतिम समय तक दूसरे दरवाजे बंद हो चुके होते हैं। नई प्रणाली कोचिंग संस्थानों पर लगाम लगाने की दिशा में भी महत्वपूर्ण है। 
क्या कहते हैं एक्सपट्र्स 
हमें यह समझना होगा कि आईएएस की परीक्षा पास और फेल होने की परीक्षा नहीं है बल्कि चयन होने की परीक्षा होती है। यानि कि अगर पेपर कठिन है तो सबके लिए कठिन है और सरल है तो सबके लिए सरल है। वर्तमान स्वरूप में यह परेशानी है कि किसी विषय का पेपर सरल हो सकता है और किसी विषय का पेपर कठिन और मूल्यांकन की पद्धति स्केलिंग से होती है, जिसे अभी तक स्पष्ट नहीं किया गया है। इस तरह युवाओं की योग्यता वास्तव में एक स्तर पर जांची नहीं जा सकती है। इसलिए यह नया स्वरूप ज्यादा महत्वपूर्ण, प्रासंगिक और उपयोगी है। यह एक किस्म की ऐसी व्यवस्था है, जिसमें हम युवाओं की स्वाभाविक योग्यताओं का पता लगाएंगे। एप्टीट्यूड टेस्ट से घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह मोटे तौर पर आपकी पर्सनेलिटी और विजनरी चीजों को दर्शाने वाला होता है। इसकी तैयारी कम समय में आसानी से हो सकती है। कोचिंग संस्थानों में घबराहट उनके अस्तित्व को लेकर है। यही वजह है कि वे लोग युवाओं को भ्रमित कर रहे हैं। 
यह करें युवा 
जनरल नॉलेज जिसमें देश-विदेश की राजनीतिक, आर्थिक स्थितियां, उनके विश्लेषण और वैश्विक नीतियों के दूरगामी परिणाम, इतिहास की विस्तृत जानकारी शामिल होती है, उस पर ज्यादा जोर देना चाहिए। जब तक मुख्य परीक्षा के बारे में कोई सूचना नहीं आ जाती, युवाओं को निश्चिंत होकर अपनी तैयारी करते हुए जनरल नॉलेज और अपनी पर्सनेलिटी डवलपमेंट के बारे में सोचना चाहिए। इस समय का इस्तेमाल अपनी अंग्र्रेजी को बेहतर बनाने और खुद को प्रस्तुतिकरण में दक्ष बनाने में करना चाहिए। 
(यह राय विभिन्न विशेषज्ञों जिनमें कोचिंग संचालक, आईएएस ऑफिसर्स और शिक्षाविद् शामिल हैं, से बातचीत के आधार पर तैयार की गई है) 

वर्ष १९७९ में सबसे पहले भारतीय प्रशासनिक सेवा परीक्षा के पुराने मॉडल को बदला गया था। उस समय सीधे मुख्य परीक्षा होती थी और परीक्षा का माध्यम केवल अंग्र्रेजी ही था। इस मायने में यह बदलाव बेहद क्रांतिकारी साबित हुआ क्योंकि इसने हिंदी के युवाओं के लिए कॅरियर की बड़ी बाधा दूर कर दी थी। इन बदलावों की विधिवत जानकारी भी दिसम्बर,१९७९ में ही जारी की गई थी और नए स्वरूप की पहली परीक्षा १९८० में हुई थी। 
आईएएस की जरूरतों को पूरा करेगा एप्टीट्यूड टेस्ट 
आईएएस की कोचिंग देने वाले एक संस्थान से जुड़े कुशाग्र व्यास बताते हैं कि सब्जेक्टिव पैटर्न में कई एेसे विषयों का समावेश है, जिनकी आईएएस अधिकारी के दैनिक कार्यों में कोई जरूरत नहीं होती। जब एमएनसीज में इसी एप्टीट्यूड टेस्ट पैटर्न पर सीईओज व डायरेक्टर्स को जॉब मिल पाती है तो सरकारी नौकरशाही में भी कॉर्पोरेट कंपनीज की तर्ज पर एक्सपर्ट उम्मीदवारों को ही यह अवसर मिलना चाहिए। आईएएस परीक्षा में एप्टीट्यूड टेस्ट प्रणाली का हमें स्वागत करना चाहिए क्यांेकि इसमें रीजनिंग, एल्युमेंट्री मैथेमेटिक्स, लैंग्वेज प्रोफिशिएंसी, साइकोमेंट्री टेस्ट, करंट अफेयर्स, सर्विस एटीट्यूड, डे-टू-डे फंक्शनिंग आदि का समावेश किए जाने की संभावना है और यह सब एक आईएएस अधिकारी के दैनिक कार्य में बेहद उपयोगी सिद्ध होंगे।  

जयपुर विकास प्राधिकरण की सेक्रेट्री गायत्री राठौड़ का कहना है कि आईएएस एग्जाम में सब्जेक्टिव पैटर्न की बजाय एप्टीट्यूड टेस्ट मेरी नजर में बहुउपयोगी साबित होगा। एक आईएएस अधिकारी को अपने कार्य के दौरान कई गंभीर मुद्दों पर एेसे निर्णय लेने होते हैं जो कि आमजन के एक पक्ष के लिए फायदेमंद होने के साथ ही दूसरे पक्ष के लिए नुकसानदायक भी हो सकते हैं। एेसे में सर्वजन हित को सर्वोपरि रखते हुए केवल वही अधिकारी सही कदम उठा सकता है जिसकी एनालिटिकल स्किल्स बेहतर हों। एप्टीट्यूड टेस्ट के जरिए चयनित होने वाले अधिकारियों में एनालाइजिंग पावर मजबूत होने से उनके निर्णयों व कार्यों से व्यवस्था में सुधार आएगा, वहीं नई प्रणाली से आईएएस का सलेक्शन प्रोसेस और ज्यादा निखरेगा। 

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