इस वर्ष 30 अक्टूबर को करवा चौथ मनाई जाएगी. सुहागिनें इस दिन विधि विधान से व्रत, पूजा और चौथा माता की कथा श्रवण करेंगी. राजस्थान के लोकाचारानुसार यहां पढ़ें, करवा चौथ की व्रत व कथा विधि-
सामग्री: रोली , मोली , पताशा ,चावल , गेहू , करवां , पानी का कलश ,लाल कपड़ा ,चाँदी की अँगूठी एक ब्लाउज पीस ।पूजा : कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का व्रत रखा जाता है यह व्रत सुहागिन महिलाए अपने पति की लम्बी आयु व स्वस्थ जीवन के लिए करती है ।
(Photo Courtesy: Poonam and Dr.Jitendra)
यह भी पढ़ें- KarwaChauth : सात भाई और उनकी लाडली बहन है करवा चौथ के मुख्य किरदार, क्या आप जानते हैं इनकी पूरी कहानी?
इस दिन एक करवां या गिलास लेकर उसमें चावल भरे , उसमे एक सिक्का व एक पताशा डाले व लाल कपड़े से बांध दे। कहानी सुनने के लिए मिट्टी से चार कोण का चोका लगाये ,चारो कोणों पर रोली से बिंदी लगाये । बीच मिट्टी या सुपारी से गणेशजी बनाकर रखे और रोली ,मोली व चावल से गणेशजी की पूजा करे ।अब चोके के ऊपर करवां रखे उसपर ब्लाउज पीस रखे ,पानी का कलश ,पताशा व चाँदी की अँगूठी रखे । अपने हाथ में चार गेहू के दाने लेकर कथा सुने । जब चौथ की कथा सुनने के बाद जो चार गेहू के दाने है उसे तो रात में चाँद को अर्ग देने के लिए रख ले व दुसरे चार दाने लेकर गणेशजी की कहानी सुने और उसके बाद सूर्य को अर्ग दे जो चाँदी की अँगूठी हमने पूजा में रखी थी उसे भी अर्ग देते समय हाथ में ले लेवे ।
(Photo Courtesy: Sangeeta & Poonam)
रात में चंद्रोदय होने पर जो गेहू के दाने रखे है उससे अर्ग दे व भोग लगाये ।करवां और ब्लाउज पीस अपनी सास या ननद को दे उसके बाद अपना व्रत खोले ।